जलवायु विहार स्थित कम्युनिटी सेंटर में आयोजित हुआ वर्ल्ड लाफ्टर डे,
सेकड़ों की संख्या में महिला व पुरुषों ने सहीभागिता कर मनाया विश्व हास्य दिवस
नोएडा – विश्व हास्य दिवस पर आज नोएडा के सेक्टर – 21 स्थित जलवायु विहार के कम्युनिटी सेंटर में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें सेकड़ों की तादात में बड़े, बुजुर्ग, बच्चों सहित महिलाएं ठहाके लगाकर हसीं और एक दूसरों को हसाया। वही वर्ल्ड लाफ़्टर डे कार्यक्रम में आये लोगों का कहना हैं कि स्ट्रेस और डिप्रेशन जैसी परेशानी से जूझ रहे लोगों को लाफ्टर के माध्यम से शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक तनाव से निजात मिलती हैं।
आपको बता दें कि प्रत्येक वर्ष में मई माह के प्रथम रविवार को वर्ल्ड लाफ्टर डे मनाया जाता है ताकि लोगों में बढ़ रहे स्ट्रेस और डिप्रेशन जैसी परेशानी के चलते हसना भूल चुके लोगों को इसके फायदों के बारे में बताया जा सकें. नोएडा के सेक्टर 21 स्थित जल-वायु विहार के कम्युनिटी सेंटर में लाफ्टर क्लब 2014 में शुरू किया गया था, तब इसके 10 से 15 सदस्य थे, आज इसके सैकड़ों सदस्य है और लाफ्टर के माध्यम से शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक तनाव को कम करने में जुटे है यहां आज वर्ल्ड लाफ्टर डे पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमे सेकड़ों की संख्या में बड़े, बूढ़े और बच्चों सहित महिलाऐं खूब ठहाके लगाकर हसे और दूसरे को हँसाया।
विश्व हास्य दिवस पर अपनी सहीभागिता करने आये लाफ्टर क्लब में कर्नल हरमिंदर सिंह ने बताया कि जीवन में अब हसी ही महत्व रखती है यही सीखा मैंने, इसी के चलते मेरी सेहत सुधरी है. हसी से सिर्फ, मेरी सेहत ही नहीं सुधरी है, इसका असर पौधों पर भी होता है. मैं पिछले महीने अमेरिका से आया था तो मेरे सारे प्लांट्स खराब हो गए थे रोज सुबह में अपने प्लांट के साथ जाकर उन्हें पानी देता हू, बात करता हू, और हंसता हूं तो वह भी खिल उठे है।
वही इंडियन नेवी से रिटायर्ड कमाडोर अशोक साहनी जो क्लब के अध्यक्ष है कहते है कि जीवन में 9 साल से यह हास्य योग कर रहा हूं इससे यह महत्व समझ में आया है कि हंसना उतना ही जरूरी है जितना सांस लेना. हंसना एक नेचुरल चीज है। बच्चों को कोई नहीं हंसी सिखाता है। दिक्कत बड़े हो कर आती है, लोग जैसे हंसना तो भूल ही गए हैं, अगर हसना वापस आ जाए तो शरीर को हेल्दी बनाए रखा जा सकता है। जी हां… हंसी से आप तनाव को दूर करके खुद को हेल्दी बनाए रख सकते हैं।
अशोक साहनी कहते कि हम जो हसी हसते हैं यह नकली जरूर लगती है पर इस पर शोध हुआ है और यह पाया गया है कि कुछ लोगों की नेचुरल हंसी नहीं निकलती, उनका बॉडी यह तय नहीं कर पाती कि आप नकली हसी हस रहे या नेचुरल हसी हस रहे हैं। लेकिन बॉडी को उतना ही लाभ मिलता है जितना एक नेचुरल हंसी से मिलता है।