सडको पर चलने वाले ट्रक ड्राइवरों का आई केयर हॉस्पिटल ने किया नेत्र परीक्षण।
चौकाने वाले आकड़े आये सामने, सरकार इन आकड़ों से हैं बेखबर

नोएडा – सड़कों पर चलने वाले ट्रक ड्राइवर्स का बीते वर्ष 2018 से नोएडा स्थित आई केयर हॉस्पिटल साईट सेवर्स इंडिया की मदद से जगह जगह कैंप लगाकर आँखों की जाँच कर रहा हैं वही इन चार सालों में जो आकड़े सामने आये हैं वह बहुत ही चौकाने व आश्चर्य चकित करने वाले नजर आ रहें हैं। जिससे केंद्र व राज्य सरकार पूरी तरह से अनभिज्ञ हैं। यह जानकरी आज नोएडा के सेक्टर -29 मीडिया क्लब में हुई प्रेसवार्ता के दौरान आई केयर हॉस्पिटल के सीईओ डॉ0 सौरभ चौधरी ने दी।

आपको बता दें कि नोएडा के सेक्टर 29 स्थित प्रेस क्लब में आई केयर हॉस्पिटल द्वारा की गई प्रेसवार्ता के दौरान पत्रकारों से वार्ता करते हुए आई केयर हॉस्पिटल के सीईओ डॉ सौरभ चौधरी ने बताया कि हमारा हॉस्पिटल बीते वर्ष 2018 से जगह-जगह कैंप लगाकर दिन रात सड़कों पर चलने वाले ट्रक ड्राइवर्स की आखों की जाँच कर रहा हैं जिसमें अब तक ट्रक ड्राइवर की हुई आँखों की जाँच में जो आकड़े सामने आये हैं वह बहुत ही चौकाने वाले हैं। उन्होंने बताया कि पिछले चार सालों में करीब 34 हजार ट्रक चालकों की आखों की जाँच की गई। इनमें से 38% ट्रक ड्राइवरों में नज़दीकी तौर पर देखने में समस्या पाई गई तो वहीं 8% ट्रक ड्राइवरों को दूर की दृष्टी संबंधित समस्याओं से ग्रस्त पाया गया जबकि इनमें से 4% लोग ऐसे थे जिनमें दूर और नज़दीक दोनों तरह का दृष्टि दोष था. वही सबसे बड़ी बात यह थी कि उन ट्रक ड्राइवरों में से कोई भी ट्रक ड्राइवर चश्मे का इस्तेमाल करता हुआ नहीं पाया गया.

डॉ सौरभ चौधरी ने बताया कि नज़दीक की वस्तुओं को ठीक से नहीं देख पाने की समस्या से ग्रस्त ज़्यादातर लोगों की उम्र 36 से 50 के बीच थी. जबकि जिन लोगों में दूर की वस्तुओं को ठीक से नहीं देख पाने की समस्या पाई गई, उनमें से ज़्यादातर लोगों की आयु 18 से 35 वर्ष के बीच थी. उन्होंने कहा कि नेत्र चिकित्सक होने के नाते हम इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ़ हैं कि भारत में बड़ी तादाद में होनेवाले सड़क हादसों में ड्राइवरों में होने वाले दृष्टि दोष की समस्या एक बड़ी वजह होती है. हमने जिन भी ट्रक ड्राइवरों ने नेत्रों की जांच की, वे इस बात से कतई वाकिफ़ नहीं थे कि उनमें किसी को भी किसी तरह का कोई दृष्टि दोष है. इतना ही नहीं, इनमें से किसी ने कभी भी अपनी आंखों का परीक्षण नहीं कराया था. ऐसे में उनके किसी हादसे का शिकार होने की प्रबल आशंका मौजूद थी. उल्लेखनीय है कि भारतीय सड़कों पर 90 लाख से भी ज़्यादा ड्राइवर ट्रक चलाते हैं. ज़मीनी स्तर पर किये गये हमारे अध्ययन के आंकड़ों के मुताबिक, अनुमानित तौर पर इनमें से आधे लोगों को किसी ना किसी तरह की नेत्र से जुड़ी समस्याएं ज़रूर होंगी. ग़ौरतलब है कि अगर ये ड्राइवर किसी पश्चिमी देश में होते तो उन्हें चश्मे और आंखों के सही परीक्षण के बगैर वहां पर ड्राइविंग के लिए अयोग्य करार दिया जाता.”

डॉ. सौरभ चौधरी ने बताया कि “ट्रक ड्राइवरों की आंखों की अच्छी तरह से पड़ताल करने के बाद हमारे सामने यह तथ्य सामने आया कि इनमें से ज़्यादातर ट्रक ड्राइवर ‘रिफ़्रैक्टिव एरर’ (दूर और नज़दीकी वस्तुओं को ठीक से नहीं देख पाने की स्थिति) की समस्या से पीड़ित हैं. ऐसे में हमने अपने सहयोगी संस्था साइटसेवर्स इंडिया के साथ मिलकर पीड़ित ट्रक ड्राइवरों को मौके पर ही विभिन्न तरह के रेडी टू क्लिप (R2C) चश्मे मुहैया कराए. जिन भी ट्रक ड्राइवरों में ‘रिफ़्रैक्टिव एरर’ जटिल किस्म का पाया गया, उन ट्रक ड्राइवरों को अगले गंतव्य पर कस्टमाइज़्ड किस्म के चश्मे प्रदान किये गये. हमने विभिन्न तरह की टेक्नोलॉजी, उपकरणों और ऐप का इस्तेमाल करते हुए ट्रक ड्राइवरों को विभिन्न तरह के चश्मे मुहैया कराए ताकि वे सड़कों पर चश्मा पहनकर ही ड्राइविंग करें।

एक एनजीओ के तौर पर साइटसेवर्स इंडिया लोगों की दृष्टि दोष का इलाज करने और लोगों को नेत्रहीनता से बचाने के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है. ग़ौरतलब है कि महामार्गों पर यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनज़र साइटसेवर्स इंडिया ने चोलामंडलम इंवेस्टमेंट ऐंड फाइनांस लिमिटेड कंपनी की ओर से 2017 में RAAHI – नैशनल ट्रकर्स आई हेल्थ प्रोग्राम की शुरुआत की गई थी. बाद में 2018 में ICARE आई हॉस्पिटल ने भी इस पहल से ख़ुद को जोड़ लिया. ऐसें में सभी के साझा प्रयासों से अब तक 34,000 ट्रक ड्राइवरों के नेत्रों का परीक्षण किया जा चुका है.